तुझे जरा खबर नहीं
( तर्ज : तेरे दया - धरम नहीं मनमें ... )
तुझे जरा खबर नही आयी ।
तेरे यहाँ दुनिया नही भाई ! ॥ टेक ॥
तू है अपने अच्छे - बूरे
कर्मो का फल पाता ।
अच्छे कर्म से स्वर्ग मिले ,
जहाँ देव - लोक कहलाता ॥ १ ॥
पाप - कर्म जो बडी नीचता ,
धर्म - द्रोह जब होता ।
खून खींचना किसी गरिबका ,
लगे नरक से नाता ॥२ ॥
प्रभुका भजन करे दिल - मनसे ,
जो सेवा में रहता ।
सब पर प्रेम करे करवावे ,
परम धामको जाता ॥३ ॥
जो सत्संगी गुरू कृपा का ,
ज्ञान पात्र हो जावे ।
तुकड्यादास कहे वह फिरके ,
अमर मुक्ति को पावे ॥४ ॥
वारासिवनी ;
दि . २१ - ९ -६२
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